2050 तक 59% वयस्क होंगे ओवरवेट: जानें कौन से 8 देश हैं मोटापे के सबसे बड़े शिकार

मोटापे को हल्के में लेने की गलती ना करें: गंभीर स्वास्थ्य समस्या और भविष्य में बढ़ता खतरा

मोटापा केवल एक शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि यह गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़ी एक महामारी बन चुकी है। 25 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में मोटापे का प्रकोप बढ़ने का अनुमान है, और 2050 तक इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

लैंसेट की एक ताज़ा रिपोर्ट ने इस स्थिति को लेकर चेतावनी दी है, और साथ ही इससे निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने की सलाह दी है।

मोटापा: एक गंभीर समस्या

मोटापा एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जो खराब जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर आहार से उत्पन्न होती है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक और सामाजिक जीवन पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

आज दुनिया के हर देश में मोटापे पर नियंत्रण पाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन लैंसेट की रिपोर्ट ने यह साफ किया है कि यदि प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी बदतर हो सकती है।

2050 तक मोटापे के शिकार लोगों की संख्या

लैंसेट की स्टडी के अनुसार, अगर आज की गति से ही चीज़ें चलती रहीं, तो 2050 तक 25 साल या उससे ऊपर की उम्र के लोगों में से 59% लोग मोटापे के शिकार हो सकते हैं।

इसके अलावा, यह समस्या सिर्फ वयस्कों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बच्चों, किशोरों और युवाओं तक भी फैल सकती है। यह दर्शाता है कि इस स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हमें तत्काल ठोस कदम उठाने होंगे।

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मोटापे का वर्तमान परिदृश्य

वर्तमान में, लैंसेट की स्टडी के अनुसार, 2.11 बिलियन वयस्क और 493 मिलियन बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं। यह आंकड़ा 1990 के मुकाबले काफी बढ़ चुका है, जब केवल 731 मिलियन वयस्क और 198 मिलियन बच्चे मोटापे से प्रभावित थे। अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो इस आंकड़े में और वृद्धि हो सकती है।

2050 तक मोटापे से प्रभावित लोगों की संभावित संख्या

रिपोर्ट के अनुसार, यदि भविष्य में तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो 2050 तक 3.8 बिलियन वयस्क और 746 मिलियन बच्चे मोटापे के शिकार हो सकते हैं। यह स्थिति न केवल एक स्वास्थ्य संकट होगी, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी इसके भारी प्रभाव पड़ेंगे।

2021 तक मोटापे से प्रभावित देशों की स्थिति

2021 तक, 8 देशों में मोटापे से प्रभावित लोगों की संख्या आधे से अधिक थी। ये देश हैं:

  • चीन: 402 मिलियन
  • भारत: 180 मिलियन
  • अमेरिका: 172 मिलियन
  • ब्राजील: 88 मिलियन
  • रूस: 71 मिलियन
  • मेक्सिको: 58 मिलियन
  • इंडोनेशिया: 52 मिलियन
  • इजिप्ट: 41 मिलियन

बच्चों के लिए खतरा

शोधकर्ताओं ने बच्चों के बढ़ते मोटापे को लेकर चिंता जताई है। पिछले कुछ दशकों में बच्चों का वजन बढ़ने की दर में अचानक इज़ाफा हुआ है, जिसके कारण उन्हें टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, और कैंसर जैसी बीमारियों का सामना कम उम्र में हो सकता है।

प्रीमैच्योर डेथ का खतरा

वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की एक स्टडी में भी मोटापे के गंभीर प्रभावों पर ध्यान आकर्षित किया गया है। अध्ययन के अनुसार, मोटे लोगों में प्रीमैच्योर डेथ यानी समय से पहले मृत्यु का खतरा काफी बढ़ जाता है, खासकर उन देशों में जहां स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर कम है।

निष्कर्ष:

मोटापा एक गंभीर समस्या है, जिसे हल्के में लेना जीवन को खतरे में डाल सकता है। यदि इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में यह एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है।

सभी देशों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, और हमें अपनी जीवनशैली और आहार में बदलाव लाकर इस समस्या से निपटना होगा।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। यह किसी भी इलाज या दवा का विकल्प नहीं हो सकती। अधिक जानकारी और सलाह के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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