कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने के कारण: जानिए क्यों?

कम उम्र में पीरियड्स की शुरुआत: समय से पहले प्यूबर्टी के कारण

हाल के वर्षों में, देखा जा रहा है कि कई लड़कियों में 10 से 11 साल की उम्र में मासिक धर्म (पीरियड्स) की शुरुआत हो रही है। पहले जहां यह सामान्यत: 12-13 साल की उम्र में शुरू होता था, वहीं अब कुछ लड़कियों में यह 9 या 10 साल की उम्र में भी देखा जा रहा है। तो, क्यों हो रहा है यह परिवर्तन? आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण।

कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने के कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, आजकल के आहार में प्रोसेस्ड फूड, हानिकारक वसा और अधिक शर्करा का सेवन बढ़ गया है, जो बच्चों में मोटापे का कारण बन रहा है।

अधिक फैट टिश्यू हार्मोनल प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर एस्ट्रोजन (जो प्यूबर्टी की शुरुआत का कारण होता है)। इसलिए, मोटापे से ग्रस्त लड़कियों में प्यूबर्टी के शुरू होने की संभावना ज्यादा रहती है।

इसके अलावा, पर्यावरण में मौजूद कुछ रासायनिक तत्वों का भी इस पर असर पड़ता है। जैसे बिस्फेनॉल (BPA), थैलेट्स और कीटनाशक, जो शरीर के हार्मोनल कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं और समय से पहले प्यूबर्टी का कारण बन सकते हैं।

भावनात्मक और मानसिक तनाव का प्रभाव

जिन लड़कियों को परिवार में समस्याओं, तनाव या पिता की अनुपस्थिति का सामना करना पड़ता है, उनमें प्यूबर्टी जल्दी शुरू हो सकती है। ये मानसिक और भावनात्मक पहलू भी यौवन की शुरुआत को प्रभावित करते हैं।

वर्तमान समय में बदलते जीवनशैली के कारण

आजकल के डिजिटल युग में बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं, जिससे शारीरिक गतिविधियों की कमी हो रही है। पहले की तुलना में कम शारीरिक सक्रियता के कारण बच्चों का वजन बढ़ता है और हार्मोनल असंतुलन की समस्या बढ़ती है।

इसके साथ ही, अत्यधिक स्क्रीन टाइम मेलाटोनिन (एक हार्मोन जो यौवन को नियंत्रित करता है) के उत्पादन में हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे यौवन की शुरुआत जल्दी हो सकती है।

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आधुनिक आहार और मोटापा

एक्सपर्ट के मुताबिक, आजकल के आहार में अधिक प्रोसेस्ड फूड, अनहेल्दी फैट्स और शर्करा की अधिकता होती है। इससे बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है, जो प्यूबर्टी यानी यौवन की शुरुआत को प्रभावित कर सकती है।

अधिक वजन वाली लड़कियों में हार्मोनल बदलाव तेजी से होते हैं, खासकर एस्ट्रोजन हार्मोन, जो पीरियड्स की शुरुआत का मुख्य कारण होता है।

पर्यावरणीय और रासायनिक प्रभाव

कुछ रासायनिक तत्व जैसे बिस्फेनॉल (BPA), थैलेट्स और कीटनाशक हार्मोनल कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे जल्दी प्यूबर्टी हो सकती है। ये रसायन बच्चों के शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा करते हैं, जिससे पीरियड्स की शुरुआत जल्दी हो सकती है।

मानसिक तनाव और पारिवारिक स्थिति

जब लड़कियां मानसिक और भावनात्मक तनाव का सामना करती हैं, जैसे पारिवारिक विवाद या पिता की अनुपस्थिति, तो उनका हार्मोनल संतुलन प्रभावित हो सकता है। उच्च तनाव स्तर के कारण यौवन की शुरुआत जल्दी हो सकती है।

कम शारीरिक गतिविधि

आजकल बच्चों का जीवन अधिकतर डिजिटल उपकरणों और स्क्रीन के सामने व्यतीत होता है, जिससे शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं।

शारीरिक निष्क्रियता और अधिक समय स्क्रीन पर बिताने से वजन बढ़ने और हार्मोनल असंतुलन की समस्या हो सकती है, जिससे पीरियड्स की शुरुआत जल्दी हो सकती है।

निष्कर्ष:

समय से पहले पीरियड्स की शुरुआत को समझने के लिए हमें इन सभी कारणों पर ध्यान देना आवश्यक है। सही आहार, मानसिक स्थिति और शारीरिक गतिविधि के साथ, हम बच्चों में इस बदलाव के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

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